एक बार कुत्ते और गधे में शर्त लगी कि जो दौड़ कर पहले ??????? पहुंचेगा वो सत्ता के सिंहासन पर बैठ कर राज़ करेगा
दौड़ सुरु हुई ।
कुत्ता खुश था कि मैं तो तेज़ दौड़ता हूँ गधे को तो यूं ही हरा दूँगा ।
पर उसे क्या मालूम था कि हर एक मुहल्ले चौक पर बहुत से कुत्ते उसे आगे जाने ही नहीं देंगे ।
हुआ भी ऐसा ही हर चौक पर स्थानीय कुत्तों ने उस पर जानलेवा हमला किया ।
वो बहुत से कुत्तों से लड़ता हुआ जैसे तैसे ?????? पहुँचा तो देखा कि गधा सत्ता के सिंहासन पर बैठ कर राज़ कर रहा है ।
हताश घायल कुत्ता बोला काश मेरी ही बिरादरी वाले मुझसे लडे़ न होते तो.....
ये गधा इस सिंहासन तक कभी नहीं पहुंच पाता.
दौड़ सुरु हुई ।
कुत्ता खुश था कि मैं तो तेज़ दौड़ता हूँ गधे को तो यूं ही हरा दूँगा ।
पर उसे क्या मालूम था कि हर एक मुहल्ले चौक पर बहुत से कुत्ते उसे आगे जाने ही नहीं देंगे ।
हुआ भी ऐसा ही हर चौक पर स्थानीय कुत्तों ने उस पर जानलेवा हमला किया ।
वो बहुत से कुत्तों से लड़ता हुआ जैसे तैसे ?????? पहुँचा तो देखा कि गधा सत्ता के सिंहासन पर बैठ कर राज़ कर रहा है ।
हताश घायल कुत्ता बोला काश मेरी ही बिरादरी वाले मुझसे लडे़ न होते तो.....
ये गधा इस सिंहासन तक कभी नहीं पहुंच पाता.
इस कहानी से जरा कुछ सीख लेना मित्रों ......आपस में लड़ने में...कहीं कोइ गधा सिंहासन पे ना बैठ जाये...
एैसे ही आऱक्षण के लीये आपस में लड़ते रहोगे तो अगली सरकार गंधों की ही हो सकती है... फिर जीने के लीये आरक्षण माँगना पड़ेगा ...याद तो है ना वो सांप्रदायिकता हिंसा विरोधी बिल ये कौन सी सरकार लाने वाली थी..?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें