गुरुवार, 14 नवंबर 2013

आजादी की आधी सदी के बाद भी हम क्यूँ मानते है यह बाल दिवस.... क्या कभी देखा है छोटे - छोटे बच्चो को कूड़ा बीनते या फिर किसी होटल में जूठे प्याले धोते या फूटपाथ पर जूते सिलते या किसी सेठ की भव्य दूकान में अपनी उम्र और वज़न से ज्यादा बोझ उठाते या श्रम करते ? तो क्या यही सचमुच भारत के बच्चे है, देश के भविष्य है ?


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